Saturday, April 18, 2009

नटखट गुड़िया

नटखट गुड़िया

नटखट गुड़िया पढ़ने जाती ,
जिस दिन मैडम न आती ।

जाकर वह चक उठाती ,
और बोर्ड पर लिख कर आती ,
स से साथी ह से हाथी .

1 comment:

  1. प्रिय बन्धु
    बहुत अच्छा लगा आपका लेखन
    आज कल तो लिखने पढने वालो की कमी हो गयी है ,ऐसे समय में ब्लॉग पर लोगों को लिखता-पढता देख बडा सुकून मिलता है लेकिन एक कष्ट है कि ब्लॉगर भी लिखने पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं जबकि पढने पर कम .--------
    नई कला, नूतन रचनाएँ ,नई सूझ ,नूतन साधन
    नये भाव ,नूतन उमंग से , वीर बने रहते नूतन
    शुभकामनाये
    जय हिंद

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